India’s Four Religions Should Be Together

India is a multi-religious country with a diverse set of religious rituals and beliefs. The spiritual terrain of India has given birth to a wide range of religions. These religions are categorized as Eastern religions. People in India have a strong faith in religion, believing that it gives their lives meaning and purpose.

All of these Indian faiths share significant similarities as well as subtle differences that set them apart. These religions, on the other hand, are deeply emotional and culturally intertwined. Four of the world’s major religious traditions originated in India: 1. Sanatan Hinduism 3. Sikhism 2. Jainism, as well as 4. Buddhism.

The four religions mentioned above are influenced by Indian culture. The underlying principles of these four religions are the same, but the ishta(Who we worship) and methods of worship differ. If we’re talking about the oldest Indian religion, it’s called “Sanatan Hindu Dharma.” Other Indian religions, such as Buddhism, Jainism, and Sikhism, arose from Sanatan Hindu Dharma, but each of these religions now has its own independent existence, which should be preserved.

Muslims, Christians, and Jews, in addition to these four religions, practice Islam, Christianity, and Judaism in India. We refer to them as foreign faiths. This religion was brought to India by foreign invaders who regularly attacked our country. The customs, culture, and so on of these foreign religions are vastly different from those of us who practice Indian religions.

Today, foreign religions pose the greatest threat to our country, our religions, and our civilization culture in India. The two most common religions are Islam and Christianity. These foreign religions (Mughals and British) invaded India and tried to forcefully convert our Indian people to their religions, but they were unsuccessful. Despite the fact that these religions ruled over us Indians for a long time, we Indians banded together and drove them out of India. However, foreign religions in India use a variety of strategies to persuade followers of Indian religions to convert to their beliefs. And they’re having a lot of success; the conversion process in India is moving quickly. In general, these poor backward classes convert the underprivileged into religion by seducing or frightening them. Not only have these foreign religions converted our country’s citizens, but they have also harmed India’s civilization culture. Indians have been cut off from their ancient civilization.

Today, the vast majority of Indians are content to simply say and write their country’s name as India or Hindustan. The same names are given to children in our Indian schools. Whereas our country’s original and traditional name is “Bharat.” These foreign faiths have created a type of educated person in India today who appears to be Indian but constantly opposes India on everything and everywhere and convinces others to do the same. The number of people who oppose India is not decreasing; on the contrary, it is increasing.

Our ancient Hindu scriptures are known as Mithihas (myth) today; have you ever heard English texts, such as the Bible, referred to as Mithihas? Similarly, our country’s citizens today are content solely with speaking and listening to English, a foreign language. In contrast, our Indian languages are far more diverse, developed, and ancient than English. However, in today’s Indian minds, the English language reigns supreme. There are many other things that are impossible to tell in all of this. You may believe that we intentionally or unintentionally employ foreign civilization, culture, and other foreign aspects in our lives today. Foreign religions are flourishing in India, while the number of people practicing our indigenous religions is steadily declining.

To combat foreign powers, India’s four major religions (Sanatan Hindu, Sikh, Jain, and Buddhist) must band together. These four religions should coexist in peace and fight foreign forces and religions together. India’s culture should be preserved and promoted. Indian culture can only be preserved if these four religions unite.To unite these four religions, the phrase ‘Bharatiyatva’ should be used instead of the word ‘Hindutva.’ Because only in the name of Bharatiyatva can all be brought together. Because the term Hindutva is fraught with controversy, why use it? The concepts of Indianness, Indian country, and Indian culture are all inextricably linked.

Thakur Ji implores everyone to rouse the Indians! Everyone should put aside their differences and work together to advance their country. Everyone should share their Indian culture and beliefs with everyone they meet. Only then will our society, culture, and religion be able to survive. If we continue to postpone gathering, we will suffer a significant loss.

भारत के चारों धर्मों को एक होना चाहिए

विदेशी ताकतों से लड़ने हेतू भारत के चारों मुख्य धर्मों (सनातन हिन्दू, सिख, जैन तथा बौद्ध) को एकजुट होना चाहिए

भारत एक विविध धर्मों वाला देश है जिसकी विशेषता उसकी विभिन्न धार्मिक प्रथाएं और विश्वास है। भारत की इस आध्यात्मिक भूमि ने कई धर्मों को जन्म दिया है। यह धर्म मिलकर उपसमूह बनाते हैं जिन्हें पूर्वी धर्मों के रुप में जाना जाता है। भारत के लोगों को धर्मों पर बहुत ज्यादा विश्वास है और वो मानते हैं कि यह उनके जीवन को एक अर्थ और उद्देश्य देते हैं। इन सभी भारतीय धर्मों में भारी समानता है और सूक्ष्म अन्तर है, जो इन धर्मों को एक दूसरे से अलग करता है। परन्तु, भावनात्मक व सांस्कृतिक रूप से यह धर्म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है- यह चार धर्म इस प्रकार हैं:- 1. सनातन हिन्दू, 2. सिख, 3. जैन तथा 4. बुद्ध।

उपरोक्त चारों धर्म भारतीय संस्कृति से उपजे हैं। इन चारों धर्मों का मूल सिद्धांत एक ही है, केवल इष्ट और पूजा पद्धति में कुछ भिन्नता है। इनमे से यदि सबसे पुरातन भारतीय धर्म की बात करें तो वह है “सनातन हिन्दू धर्म”। अन्य भारतीय धर्म बुद्ध, जैन व सिख यह सभी धर्म भी हिन्दू धर्म में से निकले हैं लेकिन आज इन सभी धर्मों का अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व है और वह इसी प्रकार बरकरार भी रहना चाहिए।

इन चारों धर्मों के इलावा भारत में इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म को मानने वाले भी रहते हैं। जिन्हें हम विदेशी धर्म कह सकते हैं। क्योंकि यह धर्म भारत में नहीं उपजे। जिन विदेशी हमलावरों ने समय-समय पर हमारे भारत देश पर आक्रमण किया उनके साथ यह धर्म भारत में आए। इन विदेशी धर्मों के रीती रिवाज, संस्कृति आदि सभी चीज़ें हम भारतीय धर्मों को मानने वालों से पूरी तरह भिन्न है।

आज हमारे भारत देश, हमारे भारतीय धर्मों तथा हमारी भारतीय सभ्यता संस्कृति को यदि किसी से सबसे बड़ा ख़तरा है तो वह इन विदेशी धर्मों से है। जिसमे मुख्य रूप से इस्लाम और ईसाई धर्म आते हैं। इन विदेशी धर्मों (मुगलों व अंग्रेज़ों) ने भारत पर आक्रमण करके हमारे भारतीय लोगों को जबरन अपने धर्मों में परवर्तित करना चाहा, जिसमे इनको ज्यादा सफलता नहीं मिली। हालाँकि, काफी समय इन धर्मों ने हम भारतीयों पर राज भी किया लेकिन हम भारतीय एकजुट होकर इनके विरुद्ध लड़े और इनको भारत से निकला। लेकिन आज यह विदेशी धर्म भारत के अंदर रहकर बहुत ही चालाकी से विभिन्न-विभिन्न तरीके अपनाकर भारतीय धर्मों को मानने वालों का अपने धर्मों में धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं। और इसमें इनकों बहुत सफलता भी प्राप्त हो रही है, बहुत तेज़ी से यह धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया भारत में जारी है। मुख्य रूप से यह गरीब पिछड़ी जाति, वंचितों को लालच देकर या डरा धमकाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैं।

इन विदेशी धर्मों ने हमारे देश के लोगों का केवल धर्म परिवर्तन ही नहीं किया, इसके साथ-साथ हमारी भारतीय सभ्यता संस्कृति का भी बहुत नुकसान किया है। भारतीयों को अपनी पुरातन सभ्यता संस्कृति से दूर किया है।

आज अधिकतर भारतीय अपने देश का नाम इंडिया या हिंदुस्तान बोलकर व लिखकर ही खुश होते हैं। हमारे भारत के स्कूलों में भी बच्चों को यह ही नाम बताए जाते हैं। जबकि हमारे देश का असली तथा पुरातन नाम तो “भारत” है। इन विदेशी धर्मों ने आज भारत में पढ़े-लिखे लोगों की ऐसी श्रेणी बना दी है जो देखने में तो भारतीय लगते हैं लेकिन उनकी ज़ुबान और दिमाग सदैव ही भारत देश का हर बात पर व हर जगह विरोध करते हैं तथा लोगों से करवाते हैं। भारत देश का ऐसा विरोध करने वालों की गिनती कम नहीं है आज यह बहु-गिनती में हैं। आज हमारे पुरातन हिन्दू ग्रंथों को मिथिहास कहा जाता है, कभी आपने किसी को अंग्रेजी ग्रंथो बाइबल आदि को मिथिहास कहते सुना है? इसी प्रकार आज हमारे देश के लोग विदेशी भाषा अंग्रेजी को बोलकर तथा सुनकर ही खुश होते हैं। जबकि हमारी भारतीय भाषाएं इंग्लिश से कहीं ज्यादा अमीर, विकसित व पुरातन है। लेकिन हम भारतवासियों के मनो में तो आज अंग्रेजी भाषा ही राज कर रही है। ऐसी और भी बहुत सारी बातें हैं जो सभी इसमें बतानी असंभव हैं। आप स्वयं सोचो की आज जाने अनजाने हम अपने जीवन में कहां-कहां पर विदेशी सभ्यता, संस्कृति व अन्य विदेशी चीज़ों का प्रयोग करते हैं।

निम्नलिखित तालिका को देखकर आपको स्वयं ज्ञात हो जाएगा की विदेशी धर्म भारत में किस प्रकार फल-फूल रहे हैं और हमारे भारतीय धर्मों को मानने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन घट रही है।

आज जरूरत है की विदेशी ताकतों से लड़ने के लिए भारत के चारों मुख्य धर्मों (सनातन हिन्दू, सिख, जैन तथा बौद्ध) को एकजुट हो जाना चाहिए। इन चारों धर्मों को आपस में प्रेम से मिलकर रहना चाहिए और विदेशी ताकतों तथा विदेशी धर्मों के विरुद्ध मिलकर मुकाबला करना चाहिए। भारतीय संस्कृति की रक्षा करके उसे प्रोत्साहन देना चाहिए। भारतीय संस्कृति की रक्षा तभी होगी जब यह चारों धर्म एक जुट हो जाएंगे। इन चारों धर्मों को एक करने के लिए हिंदुत्व शब्द की जगह भारतीयत्व शब्द का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि भारतीयत्व के नाम पर ही सभी एकजुट हो सकते हैं। हिंदुत्व शब्द के ऊपर तो काफी विवाद चल रहा है तो विवादग्रस्त शब्द का प्रयोग क्यों करना है। भारतीयत्व, भारतीय देश तथा भारतीय संस्कृति से कोई भी अलग नहीं हो सकता।

मेरी सभी से विनती है कि भारवासियों जागो! आपसी स्वार्थ मतभेद भूलकर अपने भारत देश की उन्नति के लिए सभी एकत्र हो जाओ। जो कोई जहां भी है वहीं पर अपनी भारतीय संस्कृति व भारतीय धर्मों को प्रचार करे। तभी हमारी सभ्यता संस्कृति व हमारे धर्म जीवित रहेंगे। यदि हमने अब भी इकठ्ठे होने में देर कर दी तो इसका बहुत बड़ा नुकसान हमे ही होगा।

धन्यवाद।

हम सभी भारतीय हैं। भारतीय होने पर गर्व करो। जय भारत।

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